पेंतेकोस्त जागरण प्रार्थना में पोप : ईश्वर चाहते हैं कि हम सब एक होकर रहें
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार, 7 जून 2025 (रेई) : जागरण प्रार्थना से पहले, प्रार्थना, गीत और गवाहों के साक्ष्य से भरपूर कार्यक्रम के बाद, तीर्थयात्रियों की उत्साही भीड़ में पोप लियो शामिल हुए, जिन्होंने एक शब्द समारोह का नेतृत्व किया, जो पवित्र आत्मा के उपहार एकता पर केंद्रित थी।
पेंतेकोस्त महापर्व की पूर्व संध्या पर 7 जून को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में आयोजित जागरण प्रार्थना के दौरान अपने प्रवचन में संत पापा लियो 14वें ने हमारे जीवन में पवित्र आत्मा की उपस्थिति को उजागर किया।
उन्होंने कहा, “प्रिय बहनो एवं भाइयो, सृजनहार आत्मा, जिनका हम “उतर हे आत्मा सृजनहार” गाने के माध्यम से आह्वान करते हैं, वह वही आत्मा है जो येसु पर उनके मिशन की शांत प्रेरक शक्ति के रूप में उतरी: "प्रभु की आत्मा मुझ पर छाया रहता है" (लूका 4:18)। जब हम आत्मा से अपने मन को प्रबुद्ध करने, हमारी भाषाओं को बढ़ाने, हमारी इंद्रियों को जगाने, प्रेम को बढ़ाने, हमारे शरीर को मजबूत करने और हमें शांति प्रदान करने के लिए कहते हैं, तो हम ईश्वर के राज्य के लिए खुल जाते हैं। सुसमाचार के अनुसार, यही मन-परिवर्तन का अर्थ है। यह पहले से ही निकट आ चुके, ईश्वर के राज्य की ओर "मुड़ना" है।
येसु में हम देखते हैं, और येसु से हम सुनते हैं, कि कैसे सब कुछ बदल जाता है क्योंकि ईश्वर राजा है, ईश्वर हमारे करीब है। पेंतेकोस्त के इस जागरण प्रार्थना में, हम ईश्वर की इस निकटता, उनकी आत्मा के बारे में गहराई से जानते हैं जो हमारे जीवन को येसु के जीवन से जोड़ती है। हम उन नई चीजों से जुड़ें जिन्हें ईश्वर लाते हैं, ताकि जीवन की परिपूर्णता की उनकी इच्छा, मृत्यु की शक्ति पर हावी हो जाए।
"उसने मेरा अभिषेक किया है ताकि मैं गरीबों को सुसमाचार सुनाऊँ, बंदियों को मुक्ति और अंधों को दृष्टिदान का संदेश दूँ, सताए हुए लोगों को मुक्त करूँ और प्रभु के अनुग्रह का वर्ष घोषित करूँ" (लूका 4:18-19)। आज रात यहाँ, हम मसीह की उस खुशबू को महसूस कर रहे हैं जिससे हमारे माथे का अभिषेक किया गया है।
प्रिय भाइयो और बहनो, बपतिस्मा और दृढ़ीकरण ने हमें सब कुछ नया बनाने के येसु के मिशन, ईश्वर के राज्य में एक किया है। जिस तरह प्यार हमें किसी प्रियजन की उपस्थिति को महसूस करने में सक्षम बनाता है, उसी तरह आज रात हम एक-दूसरे में मसीह की खुशबू महसूस करते हैं। यह एक रहस्य है; यह हमें आश्चर्यचकित करता है और हमें चिंतन करने के लिए प्रेरित करता है।
पेंतेकोस्त के दिन, मरियम, प्रेरितों और उनके साथ शिष्यों ने एकता की आत्मा प्राप्त की, जिसने हमेशा के लिए उनकी सभी विविधताओं को एक प्रभु येसु मसीह में स्थापित कर दिया। उनके पास कई मिशन नहीं थे, बल्कि एक ही मिशन था। वे अब अंतर्मुखी और एक-दूसरे से झगड़ने वाले नहीं थे, बल्कि मिलनसार और खुशी से चमकते थे। संत पेत्रुस महागिरजाघर का प्रांगण, अपने व्यापक-खुले और स्वागत करनेवाले आलिंगन के साथ, कलीसिया की उस संगति को शानदार ढंग से व्यक्त करता है जिसे आप में से प्रत्येक ने अपने विभिन्न संघों और समुदायों में अनुभव किया है, जिनमें से कई द्वितीय वाटिकन महासभा के फल हैं।
सिनॉडालिटी हम सभी को एक करती है
पोप ने कहा, “मेरे चुनाव की शाम को, जब मैंने यहाँ एकत्रित ईश्वर के लोगों को देखा, तो मैं भावुक हो गया, मैंने "सिनॉडालिटी" के बारे में बात की, एक ऐसा शब्द जो सटीक रूप से व्यक्त करता है कि पवित्र आत्मा किस तरह कलीसिया को आकार देती है। यह शब्द ग्रीक शब्द सिन से शुरू होता है - जिसका अर्थ है "साथ" - जो ईश्वर के जीवन के रहस्य को बताता है। ईश्वर अकेला नहीं है। ईश्वर, पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के रूप में, स्वयं में "साथ" है, और ईश्वर हमारे साथ है। साथ ही, "सिनोडालिटी" शब्द हमें आगे चलने के मार्ग - होदोस - के बारे में बताता है, क्योंकि जहाँ आत्मा है, वहाँ गति है, एक यात्रा है जिसमें आगे बढ़ना है।
हम गतिशील लोग हैं। यह हमें अलग नहीं करता बल्कि हमें मानवता से जोड़ता है, जैसे आटे में खमीर होता है, जो इसे फूलने में मदद देता है। प्रभु की कृपा का वर्ष, जो वर्तमान जयंती में परिलक्षित होता है, उसके भीतर यह खमीर है। एक विभाजित और परेशान दुनिया में, पवित्र आत्मा हमें एकता में एक साथ चलना सिखाता है। पृथ्वी विश्राम करेगी, न्याय कायम रहेगा, गरीब खुश होंगे और शांति वापस आएगी, जब हम अब शिकारी के रूप में नहीं बल्कि तीर्थयात्रियों के रूप में कार्य करेंगे। अब हम में से प्रत्येक अपने लिए नहीं, बल्कि एक दूसरे के साथ मिलकर चलेंगे। लालच से इस दुनिया का शोषण नहीं करना चाहिए, बल्कि इसे विकसित करना चाहिए और इसकी रक्षा करनी चाहिए, जैसा कि विश्व पत्र लौदातो सी ने हमें सिखाया है।
प्रभु के अनुग्रह का वर्ष, जो वर्तमान जयंती में परिलक्षित होता है, उसके भीतर यह खमीर है। एक विभाजित और परेशान दुनिया में, पवित्र आत्मा हमें एकता में एक साथ चलना सिखाता है। पृथ्वी विश्राम करेगी, न्याय कायम रहेगा, गरीब आनन्दित होंगे और शांति वापस लौट आयेगी, तब हम शिकारी के रूप में नहीं बल्कि तीर्थयात्रियों के रूप में कार्य करेंगे। हम में से प्रत्येक अपने लिए नहीं, बल्कि एक दूसरे के साथ मिलकर चलेंगे। लालच से इस दुनिया का शोषण नहीं करेंगे, बल्कि इसे विकसित करेंगे और इसकी रक्षा करेंगे, जैसा कि विश्वपत्र लौदातो सी ने हमें सिखाया है।
प्यारे मित्रो, ईश्वर ने दुनिया को इसलिए बनाया ताकि हम सब एक होकर रहें। इसके लिए "सिनॉडालिटी" कलीसिया का नाम है। यह मांग करता है कि हम में से प्रत्येक अपनी गरीबी और अपनी समृद्धि को पहचाने, कि हम एक बड़े समुदाय का हिस्सा महसूस करें, जिसके बिना सब कुछ मुरझा जाता है। आइये, हम इसपर विचार करें। सारी सृष्टि सह-अस्तित्व के रूप में ही मौजूद है, कभी-कभी खतरनाक स्थिति के साथ, फिर भी हमेशा आपस में जुड़ी हुई (लौदातो सी 16; 117) और जिसे हम "इतिहास" कहते हैं, जो केवल सह-अस्तित्व में होता है, साथ-साथ रहना, चाहे कितना भी विवादास्पद क्यों न हो, लेकिन हमेशा साथ-साथ रहना। इसका दूसरा पक्ष घातक होता है, लेकिन दुःख की बात है कि हम इसे प्रतिदिन देख रहे हैं। इसलिए आपकी सभाएँ और आपके समुदाय, भाईचारे और बांटने के प्रशिक्षण के मैदान बनें, न कि केवल मिलने-जुलने के स्थान बल्कि आध्यात्मिकता के केंद्र बनें।
येसु की आत्मा दुनिया को बदलती है क्योंकि वह हृदयों को बदलती है। आत्मा जीवन के चिंतनशील आयाम को प्रेरित करती है जो आत्म-पुष्टि, शिकायत, प्रतिद्वंद्विता और विवेक एवं संसाधनों को नियंत्रित करने के प्रलोभन को अस्वीकार करती है। प्रभु आत्मा है, और जहाँ प्रभु की आत्मा है, वहाँ स्वतंत्रता है। (2 कोर. 3:17) इस प्रकार एक प्रामाणिक आध्यात्मिकता हमें समग्र मानव विकास के लिए प्रतिबद्ध करती है, ताकि येसु के शब्दों को हमारे जीवन में वास्तविकता बनाया जा सके। जब ऐसा होता है, तो हमेशा खुशी होती है: खुशी और आशा।
सुसमाचार प्रचार हमेशा ईश्वर का कार्य है
प्रिय भाइयो और बहनो, सुसमाचार प्रचार दुनिया को जीतने का हमारा प्रयास नहीं है, बल्कि ईश्वर के राज्य द्वारा परिवर्तित जीवन से निकलने वाली असीम कृपा है। यह धन्यताओं का मार्ग है, एक ऐसा मार्ग जिस पर हम साथ-साथ चलते हैं, “यात्रा जो हो चुकी है” और “जो होनेवाली है” उसके बीच, न्याय के लिए भूखे और प्यासे, आत्मा में गरीब, दयालु, नम्र, हृदय से शुद्ध, शांति के पुरुष और महिलाओं के रूप में। येसु ने स्वयं इस मार्ग को चुना: इसपर चलने के लिए, हमें शक्तिशाली संरक्षकों, सांसारिक समझौतों या भावनात्मक रणनीतियों की आवश्यकता नहीं है।
सुसमाचार प्रचार हमेशा ईश्वर का कार्य है। जब कभी यह हमारे माध्यम से होता है, तो यह उन रिश्तों के कारण संभव होता है जो इसे संभव बनाते हैं। इसलिए प्रत्येक स्थानीय कलीसिया और पल्ली समुदायों से गहराई से जुड़े रहें, जिसमें आप अपने कारिज्म को विकसित करते और जीते हैं।
जब हम धर्माध्यक्षों के साथ मिलकर तथा मसीह के शरीर के अन्य सभी सदस्यों के सहयोग से, एकजुट होकर सामंजस्यपूर्ण ढंग से काम करेंगे। यदि हम एक साथ पवित्र आत्मा की आज्ञा का पालन करें! तो मानवता के सामने आनेवाली चुनौतियाँ कम भयावह होंगी, भविष्य कम अंधकारमय होगा और आत्मपरक कम जटिल होगा...
संत पापा ने प्रेरितों की रानी माता मरियम के प्रार्थना करते हुए अपने संदेश का समापन किया, “संत मरियम प्रेरितों की रानी और कलीसिया का माता, हमारे लिए प्रार्थना करे।”
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